असरानी के मैनेजर बाबूभाई थीबा ने दी निधन की जानकारी
असरानी ने 1960 के दशक से अपने करियर की शुरुआत की
शुरुआती जीवन बॉलीवुड में संघर्षों भरा रहा
सफलता के बाद फिर नहीं देखा कभी पीछे मुड़कर
डिजिटल डेस्क न्यूज़।/मुंबई। अब नहीं सुनाई देगी अंग्रेजों के जमाने के जेलर की वह ठहाकों वाली गूंज। दीपावली के दिन बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन और एक्टर असरानी (Asraani) का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है, वो पिछले पांच दिन से अस्पताल में थे। बॉलीवुड के सदाबहार हास्य कलाकार असरानी का पूरा नाम गोवर्धन असरानी था।
400 से अधिक फिल्मों में काम किया

जानकारी अनुसार 1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे असरानी ने 1960 के दशक से अपने करियर की शुरुआत की और 400 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी कॉमिक टाइमिंग और अनोखा अंदाज उन्हें बॉलीवुड का बेमिसाल सितारा बनाता है। ‘शोले’ में उनकी ‘अंग्रेज़ों के जमाने का जेलर’ वाली भूमिका आज भी दर्शकों को हँसाती है।
असरानी के मैनेजर बाबूभाई थीबा ने बताया कि असरानी का निधन आज जुहू के आरोग्य निधि अस्पाताल में हुआ, उनका अंतिम संस्कार भी आज शाम को सांताक्रूज वेस्ट के शास्त्री नगर शवदाह गृह में कर दिया गया। इस मौके पर उनके परिजन और करीबी लोग ही मौजूद थे।
असरानी अपनी पत्नी के साथ भी कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं
असरानी शुरुआती पढ़ाई सेंट जेवियर स्कूल जयपुर से करने के बाद वह ग्रेजुएशन के लिए राजस्थान कॉलेज चले गए। पढ़ाई खत्म होने के बाद असरानी ने बतौर रेडियो आर्टिस्ट काम किया। असरानी की वाइफ मंजू बंसल ईरानी हैं। असरानी अपनी पत्नी के साथ कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं।
साल 2004 में राजनीति में भी हाथ आजमाया था
असरानी ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था,उन्होंने साल 2004 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने पार्टी में काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लिया था। असरानी का शुरूआत के दिनों में बॉलीवुड में पैर जमाना आसान नहीं था, काफी संघर्ष के बाद असरानी ने सफलता अर्जित की।असरानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि लोग उनको कमर्शियल एक्टर नहीं समझते थे और उन लोगों में गुलजार भी शामिल थे।
हमेशा याद रहेंगे असरानी के निभाए किरदार
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, ‘गुलजार साहब ने कहा था..मुझे वो कमर्शियल एक्टर नहीं समझते थे…बोले कुछ अजीब सा चेहरा है.’ लेकिन जब उन्होंने एक्टिंग में हाथ दिखाए तो फिर उन्हें पीछे मुड़कर देखने का मौका नहीं मिला।
कोशिश (1973), बावर्ची (1972), चुपके चुपके (1975), छोटी सी बात (1975) और शोले (1975) उनका यादगार फिल्मों में से हैं. बेशक असरानी अब इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन वे अपने किरदारों से हमेशा जिंदा रहेंगे।













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