एक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन प्रोजेक्ट सिंडिकेट में लिखे अपने लेख में कहा –
जब तक राजनीति परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी
तब तक लोकतांत्रिक सरकार का असली मतलब पूरा नहीं हो सकेगा।
डिजिटल डेस्क न्यूज़/नेशनल। कांग्रेस सांसद शशि थरूर अपने बयान से एक बार फिर चर्चा में हैं। थरूर ने भारत की वंशवादी राजनीति की आलोचना की है। थरूर ने एक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन प्रोजेक्ट सिंडिकेट में लिखे अपने लेख में कहा- भारत में राजनीति फैमिली बिजनेस बन गई है। जब तक राजनीति परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी, तब तक लोकतांत्रिक सरकार का असली मतलब पूरा नहीं हो सकेगा।
थरूर ने ‘Indian Politics Are a Family Business’ लेख में लिखा- यह समय है, जब भारत को वंशवाद (परिवारवाद) छोड़कर योग्यता आधारित व्यवस्था अपनानी चाहिए। इसके लिए कानूनी रूप से तय कार्यकाल, आंतरिक पार्टी चुनाव और मतदाताओं को जागरूक करने जैसे मूलभूत सुधार जरूरी हैं।
थरूर ने अपने लेख में नेहरू-गांधी परिवार को भारत का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार बताया। उन्होंने लिखा कि इस परिवार की विरासत आजादी के आंदोलन से जुड़ी है, लेकिन इसी कारण लोगों में यह सोच भी बढ़ी है कि राजनीति कुछ परिवारों का जन्मसिद्ध अधिकार है।
थरूर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों ने भी पीढ़ियों तक सत्ता संभाली है। इसके साथ उन्होंने देशभर की कई राजनीतिक परिवारों का उदाहरण दिया।
थरूर ने लेख में ओडिशा में नवीन पटनायक, महाराष्ट्र में उद्धव और आदित्य ठाकरे, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव, बिहार में रामविलास और चिराग पासवान, पंजाब में प्रकाश सिंह और सुखबीर बादल, तेलंगाना में केसीआर के बेटे और बेटी के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई के साथ ही तमिलनाडु में करुणानिधि और उनके बेटे एमके स्टालिन के परिवार का जिक्र किया।













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